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Sunday, April 2, 2023

प्रथा जब समाज पर बोझ बन जाय तो उसे खत्म कर देना चाहिए

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आयर में तेरही भोज व शवयात्रा में जलपान का बहिष्कार कर कफ़न की जगह आर्थिक मदद का लिया निर्णय।

हरहुआ/संसद वाणी

जब- जब समाज में प्रथा बोझ बनने लगी तब- तब उसके खिलाफ लोगो ने प्रमुखता से आवाज उठाकर उसे खत्म किया है। वर्तमान समय में तेरहवीं कुप्रथा बन गई है जिसके खिलाफ शनिवार को आयर में गांव के लोगो ने बैठक कर तेरहवीं को खत्म करने की शपथ ली। बैठक आयर,नादीपर रामधनी यादव के मृत्यु के बाद उनके बेटे अशोक यादव के आह्वान पर बैठक आयोजित की गई थी।बैठक में निर्णय लिया गया कि मैं तेरहवीं में न खायेंगे और न ही खिलाएंगे। शव यात्रा में कोई भी जलपान नही करेगा। कफन के स्थान पर आर्थिक सहयोग दिया करेंगे।स्वयमसेवी आर0 डी0 यादव ने कहा कि सती प्रथा का अंत हुआ। बिधवाओ को शुभ काम में जाने का अधिकार नहीं था। भ्रांतियां थी कि विधवा के रहते गांव में अकाल पड़ेगा। शुभ काम में जाएंगी तो अशुभ हो जायेगा। समय बदलता रहा आज विधवा महिलाए हर काम में आगे रहती है। विधवा विवाह का प्रचलन शुरू हुआ। उसी तरह से तेरहवीं का भोज खत्म करना समय की आवश्यकता है।श्यामबिहारी यादव ने कहा कि तेरही में खर्च करने से बड़ा पुण्य गरीबों को अन्न वस्त्र आदि का दान देना है। ग्राम प्रधान सूर्यप्रकाश उर्फ ‘भीम’ मौर्य ने कहा कि जो कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत करता है उसे बहुत कुछ झेलना पड़ता है। बाद में सभी उसका उदाहरण देकर साथ हो जाते है। आत्मा यादव ने कहा कि “उड़ जाई सुगनवा त पिजड़वा कउने काम क” भजन का उदाहरण देते हुए कहा कि जीते जी जो मुक्ति नहीं बना सका तो मरने के बाद सारी क्रिया बेकार है। गायक छोटेलाल बनारसी ने कहा कि जीवित रहते माता पिता सास ससुर की जो सेवा करेंगे वही फलदायक है।इस मौके पर दिनेश यादव गायक,राजकुमार यादव,राजेश यादव,श्यामधनी यादव,पांचू यादव,रामभजन यादव,दयाराम राजभर,मोहन राजभर सहित कई लोग उपस्थित रहे।

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