लोगों का आरोप औद्योगिक संस्थान के इशारे पर हुई कार्रवाई
रेणुकूट/संसद वाणी
बीते गुरुवार को अदालत के आदेश पर विवादित जमीन खाली कराने पहुंची प्रशासन की चूक से गरीब परिवार तीन दिन से कंपकपाती ठंड में खुले आसमान के नीचे जीवन बसर करने के लिए विवश है। शुक्रवार की दोपहर में उपजिलाधिकारी शैलेंद्र मिश्रा ने मौके पर पहुंचकर पीड़ित परिवार से जानकारी ली और उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया। लेकिन पीड़ित का घर उजाड़े जाने के तीन दिन बीत जाने के बाद भी प्रशासनिक अमला उसके आशियाने को बनवाने की पहल तक नहीं कर पाया। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जांच और दोषियों पर कार्रवाई के आश्वासन पर लोगों में जबरदस्त उबाल है।
बीते गुरुवार को शिवापार्क इलाके में अदालत अमीन व स्थानीय पुलिस जेसीबी के साथ पहुंचकर पीड़ित रामधनी यादव की झोपड़ी को उजाड़ दिया। पीड़ित परिवार का आरोप है कि कार्रवाई के दौरान कारण पूछे जाने का कोई जवाब नहीं दिया गया। जबकि उनकी जमीन पर एक भी मुकदमा विचाराधीन या दर्ज नहीं है बावजूद अचानक कार्रवाई होने से गरीब परिवार पूरी तरह से डरा सहमा है। हालात यह है कि तीन दिन से यह परिवार खुले आसमान के नीचे ठंड के मौसम में रहने को विवश है। पीड़ित रामधनी यादव एवं दिनेश यादव ने बताया कि बाल बच्चों सहित हम खुले आसमान के नीचे तिरपाल लगाकर रह रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि निजी संस्थान के इशारे पर प्रशासन द्वारा हम लोगों का घर उजाड़ा गया। अब दर-दर गुहार लगा रहे हैं लेकिन हमारी फरियाद कोई नहीं सुन रहा। गुरुवार की रात में भी स्थानीय पुलिस ने हमारे साथ बदसलूकी की। डरा धमका कर संस्थान का जेसीबी ले जाना चाहती थी लेकिन यहां मौजूद लोगों के विरोध से पुलिस को भागना पड़ा। पुलिस निजी संस्थान के इशारे पर हम लोगों को लगातार प्रताड़ित कर रही है। वहीं इस पूरे प्रकरण से नगर में औद्योगिक संस्थान के खिलाफ लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। रहवासियों का कहना है कि इस इलाके की पूरी जमीन ग्राम समाज व आबादी भवन खाते में दर्ज है। कंपनी अपने प्रभाव के बल पर यहां के लोगों को उजाड़ने का हमेशा प्रयास करती रहती है। शिवापार्क निवासी एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नागेंद्र जायसवाल ने बताया कि कंपनी निर्माण के पहले से ही हमारे परिवार के लोग रहते रहे हैं। सन 1979 में शिवापार्क से लेकर ईएसआई हॉस्पिटल तक की जमीन को तत्कालीन एसडीएम ने आबादी भवन खाता में दर्ज किया था। हम किसी भी दबाव या डर के आगे नहीं झुकने वाले हैं। इस मामले में पिपरी प्रभारी निरीक्षक दिनेश प्रकाश पांडेय का कहना है कि यह अदालत का प्रकरण है। कोर्ट के आदेश पर पुलिस कानून व्यवस्था बनाने के लिए मौके पर पहुंची थी।
तीन दिन से मौके पर खड़ी है जेसीबी

अदालत के आदेश पर गुरुवार को कार्रवाई करने पहुंचे अदालत अमीन और पुलिस को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जनाक्रोश को भाप अदालत अमीन मौका पाकर भीड़ से निकल गए। लोगों के गुस्से के आगे पुलिस की एक न चली। पीड़ित रामधनी का झोपड़ी टूटने के बाद रहवासियों का गुस्सा फूट पड़ा। कार्रवाई के लिए आई निजी कंपनी की जेसीबी को लोगों ने घटनास्थल पर ही रोक दिया। स्थानीय पुलिस द्वारा गुरुवार की रात में भी जोर जबरदस्ती कर जेसीबी हटवाने का प्रयास किया गया जो लोगों के विरोध से असफल रहा। तीन दिन बीत जाने के बाद भी औद्योगिक संस्थान की जेसीबी मौके पर खड़ी है।