गंगापुर/संसद वाणी
वाराणसी के आर्दश नगर पंचायत गंगापुर में नौ दिवसीय श्री राम कथा के प्रथम दिन हनुमान चालीसा के दोहे और पवित्र मंगल गीत (ओम मंगलम, ओमकार मंगलम, शिव मंगलम, सोमवार मंगलम..) के साथ श्रीराम कथा का शुभारम्भ होते ही श्रीराम के चरणों में हर भक्त ने दोनों हाथ ऊपर पर खुद को समर्पित कर दिया। व्यासपीठ पर बैठे अवध के सुखंंदन जी महाराज ने आदर्श नगर पंचायत गंगापुर मैरिज लॉन में नारायण ट्रस्ट तत्वाधान में आयोजित श्रीराम कथा के प्रथम दिन कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कथा का सिर्फ श्रवण ही न करें, उसे अत्मसात कर अपने साथ ले जाने का भी प्रयास करें। कथा अमृत और कल्पतरु के वृक्ष के समान है। सुरुतरु की छाया रूपी रामायण की शरण में जो भी आता है, उसके सभी दुख दूर भाग जाते हैं।
कथा होते ही खुद को संवारने के लिए
सुखनंदन महाराज जी ने कहा कि बाहर से हमें हमारा शीशा भी संवार देता है, लेकिन भीतर से सिर्फ भगवान या भगवान की कथा ही संवार सकती है। उपदेश दूसरे को सुधारने के लिए और कथा होती है खुद को संवारने के लिए। कथा हमें भीतर से संवारती। कथा सुनने का मौका भाग्य से भाग्यशाली लोगों को ही मिलता है। कथा प्रयास से नहीं प्रसाद के रूप में सुनने को मिलती है। प्रसाद लेने के लिए कतार में लगना पड़ता है, हाथ पसारना पड़ता है। अहंकारी को कभी यह प्रसाद नहीं मिलता, सिर्फ विनम्र ही कथा का प्रसाद पा सकता है। सात सुमंगल शगुन सुधा, साधु, सुरुतरू, सुमन आदि सभी कथा में एक स्थान पर मिलते हैं। कथा भगवान के मनोरथ भी पूर्ण करती है, फिर हम तो सान है। शैलपुत्री व शिवजी के संवाद के वर्णन करते हुए कहा कि पार्वती ने प्रशन किया कि ब्रह्म तो निर्गुण और निराकार है, फिर श्रीराम को ब्रह्म कैसे हुए? शिवजी ने कहा कि ब्रह्म स्वतंत्र चेतना है, जिसमें सगुण और निर्गुण का कोई भेद नहीं। वह सूक्ष्म बी है और विराट भी। निराकार का अर्थ जिसका कोई एक आकार न हो। अंत में श्रीराम जी की आरती कर सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप रामलीला कमेटी के पूर्व डायरेक्टर दीनदयाल जैन,नगर अध्यक्ष दिलीप सेठ ,सभासद चरण दास गुप्ता,युवा समाजसेवी अरविंद मौर्या उर्फ गांधी,अभिषेक यादव उर्फ डीएम चांदपुर व्यापार मंडल अध्यक्ष घनश्याम जैन,राजीव सेठ,हर्षित श्रीवास्तव, टीपू कसौधन,सुनील केसरी इत्यादि लोग मौजूद रहे।