जोशीमठ में सुरक्षा के दृष्टिगत अब तक 131 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित किया गया है. मंगलवार को लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया.
उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) में जमीन धंसने और घरों में दरारें पड़ने की घटनाओं को लेकर मंगलवार (10 जनवरी) को भी बैठकें हुईं. साथ ही जोखिम वाले होटलों को भी गिराने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. हालांकि, इस दौरान लोगों ने होटल गिराने का विरोध (Protest) किया. जिसके बाद प्रक्रिया रोक दी गई. जानिए मामले से जुड़ी बड़ी बातें.
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि कई असुरक्षित चिह्नित भवन खाली हो गए हैं और प्रक्रिया अभी भी चल रही है. एसडीआरएफ की 8 टीमें, एनडीआरएफ की 1, पीएसी की 1 अतिरिक्त कंपनी और पुलिस अधिकारी वहां मौजूद हैं. जरूरत पड़ी तो कुछ इलाकों को सील भी किया जाएगा. इलाके का वैज्ञानिक अध्ययन किया जा रहा है.
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने जोशीमठ के सुनील वार्ड में प्रभावित लोगों से मुलाकात की. मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि लोगों ने मेहनत की कमाई से घर तो बना लिया, लेकिन अब उन्हें छोड़ना पड़ रहा है. ऐसे में बुरा तो लगता ही है. हमारी प्राथमिकता सभी को सुरक्षित रखना है. पीएम लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. अधिकारी तैनात हैं, सेना सतर्क है, पशु आश्रय भी बनाया जाएगा
राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) ने मंगलवार को जोशीमठ की स्थिति की समीक्षा की जहां इमारतों और अन्य ढांचों में दरारें आ गई हैं. इस बैठक में इस बात पर जोर दिया कि तत्काल प्राथमिकता प्रभावित क्षेत्र से पूरी तरह से एवं सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने की होनी चाहिए.
राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति की बैठक में जोशीमठ में संवेदनशील ढांचों को सुरक्षित तरीके से गिराने को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया. एनसीएमसी की बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने इस बात पर जोर दिया कि संवेदनशील ढांचे को सुरक्षित तरीके से गिराने को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
सरकार और एडमिनिस्ट्रेशन ने सबसे पहले उन दोनों होटल्स पर कार्रवाई का फैसला किया जो दरारों के चलते तिरछे हो गए थे. ‘माउंट व्यू’ और ‘मालारी इन’ होटलों को गिराने का फैसला किया जिनमें हाल में बड़ी दरार आ गयीं और दोनों एक-दूसरे की ओर झुक गये हैं. दोनों होटल पर बुलडोजर वाला एक्शन शुरू करने का प्लान तैयार हो गया, लेकिन लोगों ने प्रोटेस्ट शुरू कर दिया.