- संवाददाता: राकेश वर्मा
आजमगढ़/संसद वाणी: जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी शशांक सिंह ने बताया है कि दिव्यांग पेंशन हेतु दिव्यांगता न्यूनतम 40 प्रतिशत, वार्षिक आय अधिकतम रू 46080 ग्रामीण क्षेत्र के लिए एवं रू 56460 शहरी क्षेत्र के लिए, ग्राम सभा की खुली बैठक में चयनित हो एवं विभागीय वेबसाइट sspy-up.gov.in पर दिव्यांगता प्रमाण पत्र, आधार, बैंक की पासबुक, आय प्रमाण पत्र एवं एक फोटो के साथ आनलाईन आवेदन करना होगा। कुष्ठा पेंशन हेतु कुष्ठा का प्रतिशत एक या एक से अधिक हो, वार्षिक आय अधिकतम रु 46080 ग्रामीण क्षेत्र के लिए एव रु 56460 शहरी क्षेत्र के लिए, ग्राम सभा की खुली बैठक में चयनित हो। विभागीय वेबसाइट sspy-up.gov.in पर कुष्ठा प्रमाण पत्र, आधार, बैंक की पासबुक, आय प्रमाण पत्र एवं एक फोटो के साथ आनलाईन आवेदन करना होगा।
उन्होने बताया कि विभिन्न श्रेणी के दिव्यांगजनों को उनकी आवश्यकता के अनुसार रू 10000 की सीमा तक के कृत्रिम अंग/सहायक उपकरण निःशुल्क प्रदान किये जाते हैं, ऐसे दिव्यांगजनों को यह सुविधा देय है, जिनकी ग्रामीण क्षेत्र की वार्षिक आय रू 46080 है तथा शहरी क्षेत्र के दिव्यांगजनों की वार्षिक आय रू 56460 से अधिक न हो। शादी विवाह पुरस्कार योजना के अन्तर्गत ऐसे दिव्यांग दम्पत्ति जिनकी शादी विगत अथवा चालू वित्तीय वर्ष में हुई हो, आवेदक आयकर दाता न हो, दिव्यांगता 40 प्रतिशत या उससे अधिक हो, उत्तर प्रदेश का निवासी हो, विवाह के समय पत्नी की आयु 18 वर्ष, पति की उम्र 21 वर्ष से कम तथा 45 वर्ष से अधिक न हो।
दम्पत्ति में युवक के दिव्यांग होने पर रु15000 एवं युवती के दिव्यांग होने पर रु-20000 तथा दोनों के दिव्यांग होने पर रू 35000 प्रदान किया जाता है। दुकान निर्माण/संचालन के अन्तर्गत ऐसे दिव्यांग व्यक्ति जिनकी दिव्यांगता 40 प्रतिशत अथवा अधिक हो तथा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हों, को तथा उनके स्वयं के नाम से 110 वर्ग फीट की जमीन ऐसे स्थान पर होना चाहिए, जहां दुकान निर्माण किया जा सके, को रु 20000 प्रदान किया जाता है, जिसमें रु 15000 ऋण तथा रु 5000 अनुदान की धनराशि दी जाती है।
दुकान संचालन (खोखा, गुमटी, हथठेला) हेतु रु 10000 प्रदान किया जाता है, जिसमें रु 7500 ऋण तथा रु 2500 अनुदान की धनराशि दी जाती है। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी ने बताया कि बचपन डे केयर सेन्टर जनपद में विभाग द्वारा संचालित है। सेन्टर में प्री प्राईमरी बच्चों का पठन-पाठन का कार्य किया जाता है, जिसमें बच्चों के लिए कापी, किताब, यूनीफार्म आदि निःशुल्क दिया जाता है। बच्चों को योग्य आत्मनिर्भर बनाकर सामान्य स्कूल में नामांकन कराया जाता है, जो कि समान्य बच्चों की भॉति अपना जीवन यापन कर सकें।