
रामकथा शशि किरण समाना, संत चकोर करैं जेहि पाना – डॉक्टर नीलकंठ तिवारी
राम राज्याभिषेक के दर्शन कर भक्त हुए निहाल
नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा का हुआ समापन
दसवें दिन हुआ विशाल भंडारे का आयोजन
वाराणसी/संसद वाणी
अखिल भारतीय सनातन समिति, जैतपुरा वाराणसी द्वारा आयोजित रामकथा के समापन दिवस नवें दिन समारोह के मुख्य अतिथि व क्षेत्रीय विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि “राम कथा शशि किरण समाना, संत चकोर करैं जेहि पाना !!” उन्होंने कहा कि संतों का सानिध्य और रामचरितमानस का सत्संग जिस परिवार को प्राप्त होगा वह काफी सुखी एवं समृद्ध होगा
प्रारंभ में पूज्य संत बालक दास जी महाराज ने कहा कि माता जानकी की खोज में प्रभु जब बन बन भटक रहे थे, तो रास्ते में गिद्ध राज जटायु के भाई संपाती ने प्रभु को प्रणाम करके उन्हें बताया कि प्रभु लंकेश का पूर्ण पता किष्किंधा नरेश महाराज सुग्रीव से आप मिले तो वह आपकी पूरी मदद करेंगे। प्रभु राम ने उनको भी प्रणाम करके आगे की ओर चल दिए। तब रास्ते में भक्त माता शबरी के आश्रम में जहां प्रभु के आगमन पर उन्होंने अपनी पूरी कुटिया को फूलों से सजाया था तथा वहीं पर वह प्रभु का बहुत दिन से इंतजार कर रही थी, जहां प्रभु उसके पास पहुंचे तो उसने हर प्रकार से पूजा करके जंगल में बड़े ही भक्ति भाव से जंगली बेर जो कि स्वयं उसने चखकर प्रभु को खाने को दिए। जिसे प्रभु राम ने उसकी भक्ति भाव से ओत् प्रोत होकर जूठे बेर खाया तथा उनकी इस भक्तों की बड़ी ही प्रशंसा की। बाद में उसे नवधा भक्ति का तत्व ज्ञान देकर आगे की ओर चल दिए। श्रृंगेर पर्वत पर उनकी मुलाकात ब्राम्हण के रूप में श्री हनुमान जी महाराज से हुई तब भक्त वत्सल प्रभु ने उनसे पूरा वृतांत सुनाया। हनुमान जी ने महाराज सुग्रीव की सहायता एवं उनके बड़े भाई महाराज बाली के द्वारा उनकी पत्नी की पूरी कथा कह सुनाई। तब प्रभु ने सुग्रीव से कहा कि तुम धैर्य रखो और बिल्कुल डरो मत। बल्कि उसे युद्ध करने के लिए उन्होंने प्रेरित भी किया। प्रभु के आदेश पर स्वयं बाली के महल पर सुग्रीव ने जाकर उसे युद्ध के लिए ललकारा तब दोनों भाइयों के बीच घोर युद्ध हुआ। अंततः बाली प्रभु राम के हाथों मारा गया मरते समय बाली ने अपने पुत्र अंगद को प्रभु के चरणों में सौंपकर राम काज करने के लिए स्वयं परलोक धाम को चला गया। बानरी सेना के माध्यम से प्रभु ने वीर हनुमान को लंका में समुद्र पार कर मां जानकी का पता लगाने हेतु भेजा, जहां प्रभु का नाम लेकर स्वयं हनुमान जी अशोक वाटिका में माता सीता के पास पहुंचे जहां माता सीता के चरणों में उन्होंने राम का दूत बताते हुए अपना परिचय माता सीता को दिया। भूख लगने पर उसी अशोक वाटिका में लगे हुए फल को हनुमान जी ने जब खाना शुरू किया, तो उसकी रखवाली में लगे राक्षसों से उनकी मुठभेड़ भी हुई। उसमें कई राक्षस मारे गए अंत में रावण ने मेघनाथ को वहां भेजा तब उसने हनुमान जी को बंदी बनाकर रावण के दरबार में उन्हें पकड़ कर ले आया। जहां लंकेश के आदेश पर उनकी पूंछ में तेल बोरकर उन्हें आग लगाकर छोड़ देने का सजा दिया। पर हनुमान जी ने लंका में आग लगाकर प्रभु राम के पास आकर माता सीता का पूरा हाल-चाल सुनाया तब राम रावण का युद्ध हुआ। जिसमें उसका भाई कुंभकरण, बेटा मेघनाद तथा स्वयं रावण भी मारा गया लेकिन प्रभु ने शरणागति में आए विभीषण का लंका में राजतिलक करके उसे वहां का राजा घोषित कर दिया। इसके पश्चात 14 वर्ष का अपना वनवास की अवधि पूर्ण होने पर प्रभु को महाराज इंद्र ने अपना पुष्पक विमान भेजा। तब प्रभु सुग्रीव, विभीषण, हनुमान, नल, नील, अंगद सहित उस पर सवार होकर अयोध्या को लौटे जहां उनकी आरती माताओं ने उतारी तथा शुभ समय जानकर गुरु वशिष्ठ ने राजतिलक कर अयोध्या वासी बहुत ही हर्ष का अनुभव करते हुए प्रभु श्री राम सहित चारों भाइयों की जय जय कार करने लगे।
अंत में जयपुर राजस्थान से पधारे महंत अवधेश दास जी ने इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि कलयुग के संपूर्ण क्लेशों का दमन करने वाली यह राम कथा जगह जगह होनी चाहिए, ताकि आगे आने वाली पीढ़ी को हम सभी धर्म के प्रति उन्हें समाज व परिवार तथा राष्ट्रहित में कार्य करने की के लिए उन्हें प्रेरित करें।
इस अवसर पर बागेश्वरी देवी का सैकड़ों श्रद्धालुओं से पटा मैदान सहित पूरा पंडाल श्री रामचंद्र की जय हो, वीर बजरंग बली की जय हो, चारों भइयन की जय हो, हर हर महादेव के गगनभेदी नारे से वहां का वातावरण भक्तिमय हो उठा।
अंत में प्रभु श्रीराम दरबार एवं व्यासपीठ की आरती बागेश्वरी प्रसाद मिश्र, भैया लाल जी, रविशंकर सिंह, किशोर सेठ, प्रमोद यादव मुन्ना, प्यारे साहू, डॉ अजय जायसवाल, जयशंकर गुप्ता, रवि प्रकाश जायसवाल, हरीश्चंद सोनकर, जय नारायण गुप्ता, विनीत कुमार, कैलाश मद्धेशिया, सुभाष पासी, बिंदु लाल गुप्ता, सुशील दुबे, सन्नू कुमार, विनोद गौड़, गिरीश चंद्र वर्मा, मुन्नू लाल, संजय महाराज सहित सैकड़ों महिलाओं ने की।