
अनशन पर बैठे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तबीयत बिगड़ती जा रही है।
वाराणसी/संसद वाणी
ज्ञानवापी परिसर में जाने की अनुमति नहीं मिलने के बाद शनिवार देर शाम से श्रीविद्यामठ में अनशन पर बैठे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तबीयत बिगड़ती जा रही है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को जलाभिषेक से रोकने के विरोध में और उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए रविवार शाम चार बजे से शिव काशी मंच की ओर से श्रीविद्यामठ में हनुमान चालीसा का सस्वर पाठ शुरु हो गया है।अनशन पर बैठे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि परिसर के आस पास हजारों लोग घूम रहे हैं फिर भी हमें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई और हमारे मठ के अंदर घुसकर हमें बाहर निकलने से रोका गया। न्याय पालिक ने ऐसा कभी नहीं कहा कि किसी के घर में बिना अनुमति घुसकर उसे बाहर निकलने से रोका जाए। उन्होंने कहा कि जिस जगह को कोर्ट के आदेश पर सील किया गया है यदि हम उसमें घुसते और तब हमे रोका जाता तो हमें यह सही भी लगता, पर मुझे मठ के अंदर ही हमे बंदी बना लिया गया। न लोगों को अंदर आने दिया जा रहा था न मुझे बाहर जाने दिया जा रहा। न्याय पालिका को ढाल बनाया जा रहा है।
न्याय पालिका लोकइच्छा के अनुसार निर्णय लेती है और शिवलिंग की पूजा हो ये लोकइच्छा है। जहां तक जाने की अनुमति है कम से कम वहां तक जाने की अनुमति हमें देनी चाहिये ताकि हम भोग प्रसाद शिवलिंग को चढ़ा सकें। संविधान प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियों की सेवा का अधिकार देता है। शिवलिंग को देखकर यही प्रतीत हो रहा की आक्रांताओं ने इसे तोड़ा है। इसका मतलब यही है कि ये प्राण प्रतिष्ठित है।
हमारी यही मांग है कि कम से कम जिस दिन से शिवलिंग दिखा है उस दिन से उसका जलाभिषेक होने लगे। वो शिवलिंग प्राण प्रतिष्ठित है इसलिए उसे भी नहाने, पीने का जल मिले ये उसका अधिकार है। हमारी न्याय पालिका इस अधिकार से उसे वंचित नहीं कर सकती है। बता दें कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा के लिए जा रहे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शनिवार को पुलिस ने उनके मठ के दरवाजे पर ही रोक दिया।
नाराज स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अनशन पर बैठ गए। जिला प्रशासन से उन्होंने शिवलिंग की पूजा की अनुमति देने की मांग की। कहा कि जब तक शिवलिंग की पूजा नहीं करूंगा, अन्न-जल ग्रहण नहीं करूंगा। इस दौरान केदारघाट और श्री विद्यामठ छावनी में तब्दील रहे। फिलहाल, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कड़ी निगरानी में हैं।