आजमगढ़/संसद वाणी
संवाददाता:-राकेश वर्मा
आजमगढ़ जिले में विशेष टीकाकरण अभियान नौ जनवरी से शुरू होकर 20 जनवरी तक चलेगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी ने बताया कि इस अभियान में 5 वर्ष तक के बच्चों को विभिन्न गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाए जा रहे हैं। यह अभियान तीन चरणों में चलाया जा रहा है। दूसरा चरण 13 से 24 फरवरी और तीसरा चरण 13 से 24 मार्च तक चलेगा। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ संजय कुमार ने बताया कि जिले में शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों के लक्षित टीकाकरण के सापेक्ष अब तक 34835 बच्चों का टीकाकरण किया जा चुका है| इस टीके से बच्चों को 12 विभिन्न जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकेगा जिसमें टीबी, हेपेटाइटिस-बी, पोलियो, काली खांसी, डिप्थीरिया, टिटनेस, हिब इंफेक्शन, निमोनिया, दस्त, खसरा व रूबेला और दिमागी बुखार है| टीकाकरण न होने से बच्चों को ये बीमारियाँ घेर सकती हैं | नियमित टीकाकरण में शून्य से 5 वर्ष तक के सभी बच्चों का नियमित टीकाकरण कार्ड, एमसीपी कार्ड के माध्यम से देखते हुए लंबित टीका का विवरण देख छूटी हुई टीका से अछादित किया जा रहा है। गांव कलंदरपुर ब्लॉक मोहम्म्दपुर से प्रतिमा ने बताया कि मेरा बेटा अरमान साढ़े तीन वर्ष का हो गया है। सोमवार को पीसीवी का टीका लगवाया है। गांव से निजी चिकित्सालय जाना बहुत मुश्किल होता है और पैसा भी ज्यादा लग जाता है। सरकार की ओर से दी जा रही सुविधा तो घर के नजदीक ही मिल गई जिससे वह बहुत खुश हैं। इसी गांव की वंदना ने बताया कि मेरा बच्चा आदर्श दस महीने का है।सोमवार टीकाकरण के बाद उसका कार्ड बनाया गया है| डॉक्टर ने कहा कि टीके के बाद अगर बच्चे को बुखार या टीके की जगह पर लाल निशान ज्यादा दिन तक रहे तो बच्चे को लेकर तुरंत चिकित्सालय आना।
मोहम्मदपुर ब्लॉक के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ रोहित मिश्रा ने बताया कि बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण आवश्यक है। बच्चों में होने वाली बीमारियों व संक्रमण का असर तेजी से उनके शरीर पर होता है और उनके अंगों को प्रभावित करता है| हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, रोटा वायरस, इन्फ्लूएंजा व निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए प्रतिवर्ष अभियान चलाया जाता है। उन्होंने बताया कि खसरा एक जानलेवा रोग हैजो कि वायरस से फैलता है| बच्चों में खसरे के कारण विकलांगता तथा असमय मृत्यु हो सकती है। इसी प्रकार रूबेला भी एक संक्रामक रोग है जो वायरस से फैलता है| इसके लक्षण खसरा रोग जैसे ही होते हैं। यह लड़के या लड़की दोनों को संक्रमित कर सकता है। गर्भवस्था के शुरू में ही सक्रंमित होने से महिला को कन्जेनिटल रूबैला सिन्ड्रोम हो सकता है। यह उसके भ्रूण तथा नवजात शिशु के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। ऐसे में खसरा एवं रूबेला का टीका सुरक्षित है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं।
डॉ रोहित ने बताया कि नियमित टीकाकरण सत्र के अलावा 136 अतिरिक्त सत्र वंचित क्षेत्रों व दूर दराज के क्षेत्रों के लिए आयोजित किए जाएंगे। सोमवार से अब तक छह सत्र का आयोजन किए जा चुके हैं। इस दौरान 1200 बच्चों को विभिन्न टीकों से आच्छादित किया जा चुका है। साथ ही विटामिन ए सीरप भी पिलाया गया। उन्होने बताया कि टीका लगने के बाद बच्चों को बुखार, सूजन के साथ ही टीके लगे स्थान की त्वचा लाल हो जाना सामान्य बात है। इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। यह बच्चा ज्यादा रोये तो नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर डॉक्टर की उचित सलाह पर उपचार कराएं।
